Wednesday, May 22, 2019

चर्चा में रहे लोगों से बातचीत पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम

चारु चंद्र भी एक किसान हैं जिनकी स्थिति आसमान से गिरे और खजूर पर अटके वाली सी हो गई है.
उन्होंने बताया, "मैं यहीं पर पला-बढ़ा, कभी भी खेतों पर पानी नहीं जमा होता था क्योंकि ढाल दूसरी तरफ़ था. लेकिन जब यहाँ प्लांट को तोड़ा गया और मलबे को उठाया गया तो साथ में मिट्टी भी गई और मेरे खेत में अब कमर तक पानी भर जाता है.
सिंगुर भी जैसे थम सा गया है पिछले 11 सालों से. पश्चिम बंगाल के दूसरे इलाक़ों की तरह न तो यहाँ बड़ी दुकानें खुली हैं, न किसी तरह के कारख़ाने लगे हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक़ ज़मीनों के दाम भी ठहर गए हैं.
शहर के रेलवे स्टेशन के क़रीब मुलाक़ात मैनाक हाज़रा से हुई जो दक्षिण भारत में एमबीए के छात्र हैं और इन दिनों घर आए हैं.
मैनाक ने कहा, "सिंगुर में फ़ैक्टरी लगने और फिर उजड़ जाने से पहले तो हमारे राज्य की इमेज को ज़बरदस्त धक्का लगा. ये पर्सेप्शन हो गया कि बंगाल इज़ नॉट फ़ॉर इन्वेस्टमेंट. अगर एक बड़ी कंपनी जम जाती तो दूसरे एमएनसी भी आते, थोड़ी बहुत जॉब तो क्रिएट होती."
सिंगूर हुगली लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता है और इसे ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है.
तृणमूल पिछले दो लोकसभा चुनावों में इस सीट को जीत रही है और सीपीएम यहाँ दूसरे नम्बर पर रही है.
इस बार भाजपा ने इस सीट से फ़िल्म ऐक्ट्रेस लौकेट चटर्जी को उतारा है जिन्होंने अपने चुनाव प्रचार सिंगूर से ही शुरू किया.
उन्होंने ग्रामीणों से कहा, "तृणमूल ने आपको कहीं का नहीं छोड़ा. मुझे पता है आप लोग ममता बनर्जी से नाराज़ हैं. मुझे यानी भाजपा को वोट दीजिए, मोदी जी को दोबारा प्रधानमंत्री बनवाइए फिर देखिए इस जगह ख़ुशहाली लौट आएगी".
कुछ स्थानीय भी जो मानते हैं कि सिंगुर मामले पर सभी ने राजनीतिक रोटियाँ तो सेक लीं, लेकिन फिर यहाँ से आगे भी बढ़ गए.
डॉक्टर उदयन दास सिंगूर टाउन के मशहूर डॉक्टर हैं जिनके यहाँ मरीज़ों की लंबी कतार लगी रहती है.
उन्होंने कहा, "सिंगूर एक ऐसा आंदोलन साबित हुआ जिससे फ़ायदा सिर्फ़ नेताओं को हुआ, आम लोगों की तकलीफ़ें कम होने के बजाय बढ़ ही गईं. जिन किसानों को मुआवज़ा नहीं मिल सका उन्हें सरकार हर महीने 2000 रुपए और दो रुपए प्रति किलो के रेट से 16 किलो चावल दे रही है. अब ये सोचिए कि अगर वो अपनी ज़मीन में धान उगा रहा होता तो कितने फ़ायदे में होता".
लेकिन सिंगूर से पिछले दो लोक सभा चुनावों से भारी मतों से जीतने वाली तृणमूल की उम्मीदवार रत्ना डे नाग के मुताबिक़, "सभी विपक्षी दल जानते हैं ममता दी ने सिंगूर और नंदीग्राम के लिए क्या किया है. यही वजह है कि हमारा जीतने का मार्जिन बढ़ता जा रहा है और आम लोगों का समर्थन भी. भाजपा वालों का काम है सिर्फ़ दुष्प्रचार करना".

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